महिला सशक्तीकरण की अवधारणा एवं वर्तमान सुरक्षा चुनौती
मनोज कुमार
अमृता प्रीतम का कथन, ‘‘मर्द ने अभी दासी देखी है, वेश्या देखी है, देवी देखी है पर औरत नही देखी’’ यह वाक्य महिलाओं को कितनी ऊर्जा प्रदान करता है, यह तो वे ही जान सकते हैं जिन्होंने एक औरत को देखा, परखा और समझा हो। प्रकृति के विधान के अनुसार सृष्टि को चलाने के लिए स्त्री और पुरूष दोनों की समान महत्ता है। स्त्री के बिना संसार की कल्पना नहीं की जा सकती। सृष्टि के प्रारम्भिक अवस्था में कई समुदायों में स्त्री को पुरूषों से अधिक सम्मान दिया गया था, परन्तु जैसे-जैसे मनुष्य सभ्यता की ओर बढ़ता गया, वह स्त्री पर अपनी पाशविक सत्ता कायम करता गया। सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक विकास के नाम पर अकसर स्त्री अत्याचार, स्त्री शोषण, स्त्री प्रताड़ना जैसे मुद्दे गौण हो चुके हैं। वर्तमान में महिलाओं को ही नहीं बल्कि छोटी बच्चियों को भी नहीं बख्शा जा रहा। जहां देखिये वहां पर अत्याचार, बलात्कार, छेड़खानी आदि की समस्याएं आम बात होती जा रही हैं। आज पुरूष की गरिमा कुछ नासमझ व्यक्तियों की वजह से प्रभावित हुई है। जहां सरकार महिला सशक्तीकरण के लिए कई प्रावधान कर रही है वहीं दूसरी तरफ महिलाओं पर बढ़ता अत्याचार रूकने का नाम ही नहीं ले रहा। इस प्रकार से देखा जाऐ तो हमारा समाज महिलाओं को सशक्त नहीं बल्कि अशक्त करने में अग्रसर है। महिलाओं की सुरक्षा चिंता सम्पूर्ण मानव समाज के लिए सर्वोपरि होनी चाहिए। इस विषय पर देश ही नहीं बल्कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर इसकी चर्चा सर्वोपरि होनी चाहिए ताकि एक समतामूलक एवं स्वच्छ समाज की स्थापना हो सके।
मनोज कुमार. महिला सशक्तीकरण की अवधारणा एवं वर्तमान सुरक्षा चुनौती. International Journal of Advanced Education and Research, Volume 3, Issue 3, 2018, Pages 18-20