बढ़ती हुई जनसंख्या और विचारहीन विकास को दिशा देता जनसंख्या शिक्षा
Dr. Aastha Prakash
स्वतंत्रता के पश्चात हमारे सकल राष्ट्रीय उत्पाद में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। कृषि, उद्योग, तकनीकी, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं में विस्तार आदि की दिशा में राष्ट्र की उन्नति स्वतः स्पष्ट है। परन्तु जब हम अपनी इन उपलब्धियों को प्रति व्यक्ति उपलब्धता के मानक पर परखते है तो हमें निराशा ही हाथ लगती है। इस निराशा के मूल में हमारी अनियत्रित जनसंख्या वृद्धि है। निरन्तर बढ़ती हुई जनसंख्या के दबाव के कारण मांग और आपूर्ति के बीच सन्तुलन कठिन होता जा रहा है।
यदि हम चाहते है मनुष्य का जीवन गुणवक्ता पूर्ण हो, सबकी आवश्यकताएं सुविधानुसार पूरी होती रहें तो हमें अपने आर्थिक विकास तथा जनसंख्या वृद्धि के बीच एक सार्थक सन्तुलन स्थापित करना होगा। जनसंख्या को सीमित रखकर ही उपलब्ध साधनों के दायरे में आवश्यकताओं की पूर्ति हो सकती है।
जनसंख्या नियंत्रण के इस दुर्गम लक्ष्य की प्राप्ति में जनसंख्या शिक्षा अभूतपूर्व सहयोग दे सकती है। जनसंख्या शिक्षा एक अभिनव शैक्षिक अवधारणा है। जिसका उद्देश्य लक्ष्यगत समुदायों में जनसंख्या तथा विकास के मध्य सम्बन्ध के प्रति चेतना विकसित करना। यह कार्यक्रम इस तथ्य की बोध पर भी बल देता है कि जनसंख्या के सम्बन्ध में व्यक्ति, समुदाय, समाज, तथा राष्ट्र के स्तर पर प्रत्येक नागरिक द्वारा लिया गया निर्णय विकास की गति एवं व्यक्ति तथा राष्ट्र के जीवन की गुणवक्ता को प्रभावित करता है। यह मूलतः मानव संसाधन के विकास की शिक्षा है।
शिक्षा व्यक्ति का बहुमुखी विकास करती है और उसे चिंतन की नई विचारधारओं से जोड़ती है। किसी भी राष्ट्र के निर्माण, उसकी प्रगति, सामाजिक परिवर्तन और मानव संसाधन के विकास में शिक्षा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस प्रकार किसी भी समाज या राष्ट्र के उत्थान में शिक्षा के महत्वपूर्ण योगदान को देखते हुए यह आवश्यक हो जाता है कि शिक्षा का स्वरूप पूर्णतः व्यवस्थित व व्यवहारिक हो। अतः आज की समस्याओं और परिस्थितियों को देखते हुए जनसंख्या शिक्षा को व्यवहारिक शिक्षा के पाठ्यक्रम का आवश्यक अंग बनाना अनिवार्य हो गया है। क्योंकि आज जनसंख्या वृद्धि की समस्या न केवल हमारे देश की बल्कि पूरे विश्व की सर्वाधिक ज्वलन्त समस्या हो गई है।
Dr. Aastha Prakash. बढ़ती हुई जनसंख्या और विचारहीन विकास को दिशा देता जनसंख्या शिक्षा. International Journal of Advanced Education and Research, Volume 4, Issue 4, 2019, Pages 57-60