स्वामी विवेकानन्द के दार्शनिक तथा शैक्षिक विचारों की वर्तमान में प्रासंगिकता का विश्लेषणात्मक अध्ययन
डाॅ. पूनम मदान, ज्योति सचान
शिक्षा किसी समाज का सर्वोच्च सकारात्मक पथ है शिक्षा वह तत्व है जो मानव के ज्ञान का अग्रिम पीढ़ी में सम्प्रेषण करता है मानव के शान के दो पक्ष होते है - अनुभव जन्म ज्ञान तथा स्मृतिजन्य ज्ञान। अनुभव मनुष्य के व्यक्तिगत होते है जबकि स्मृतियों से तात्पर्य विविध शास्त्रों एवं गुरूओं के माध्यम से प्राप्त ज्ञान है इन दोनों का अग्रिम पीढ़ी में समुचित एवं योग्य सम्प्रेषण ही शिक्षा का उद्देश्य है शिक्षा को भारतीय ज्ञान परम्परा में विशेष स्थान प्राप्त है ज्ञान के मूलश्रोत, स्वरूप, वेदों के अध्ययन एवं अर्थबोध के लिए अनिवार्य वेदांगों में शिक्षा को प्रथम स्थान दिया गया है
डाॅ. पूनम मदान, ज्योति सचान. स्वामी विवेकानन्द के दार्शनिक तथा शैक्षिक विचारों की वर्तमान में प्रासंगिकता का विश्लेषणात्मक अध्ययन. International Journal of Advanced Education and Research, Volume 5, Issue 6, 2020, Pages 53-54